हेल्लो दोस्तों, आप पढ़ रहे है मेरे अनुभव मेरे ब्लॉग akleshkakodiya.blogspot.com पर। बहोत सारे अप्डेट्स के लिए मेरा ब्लॉग लाइक करे शेयर करे। बात है सन 2011 की जब में Bsc. 2nd year का स्टूडेंट था। मेरे शहर नेपानगर में कोई अच्छा कॉलेज ना होने के कारण मेने नेपा से 50 km दूर खंडवा में एडमिशन लिया था। रोज ट्रैन से दोस्तों के साथ अप-डाउन करना और दिन भर कॉलेज के नाम परहुल्लड़बाजी और मौज-मस्ति करना, बस यही करते थे हम लोग। मै पढ़ाई में बहोत अच्छा था मुझे लगता था कि मै बहोत समझदार हूँ, और वैसे भी दोस्तों के मुँह से सुन रखा था कि कॉलेज लाइफ एन्जॉय के लिए होती हैं, मौज - मस्ती के लिए होती है। तो हम भी लाइफ को ऐसा ही समझ बैठे। खैर छोड़ो आगे की बात बताता हूँ, जीवन में हम सभी के साथ ऐसा होता ही है कि जब हम अपने दोस्त के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हो जाते है यहाँ तक की दोस्ती निभाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था। मेरी एक बहोत अच्छी दोस्त थी जिसका नाम सुनैना( काल्पनिक नाम) था। वह MSc. Chemistry final ईयर की स्टूडेंट थी, मै उसे दीदी बोलता था। वो बहो
जिंदगी के अनुभवों को जानने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे ब्लॉग से जुड़े। यहा पर आपको अच्छी कहानियां, नॉकरिया, लेटेस्ट परिवर्तन आदि की जानकारियां आसानी से उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की जाएगी।।