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"सुकून"

चितन , मनन, गहन अध्धय्यन, सुकून को तरसता मेरा मन, पग-पग ,डगर- डगर,  गली, मोहल्ला हर नगर-नगर, बीहड़, कानन और वृन्दावन, तट, नभ, कलरव न माने मन।।  घर, कुटुंब और जिम्मेदारी, दिनचर्या हो गई व्यस्त सारी।।  अब तो मन में एक ही आस मिल जाये चैन की सांस,  कुछ पल बिताऊँ अपनों साथ, है सकून अब तो लौट आ मेरे पास,  फिर भी अधूरा पाता हूँ मै खुदको, फिरता हूं उदास- उदास, फिरता हूं उदास उदास, है सकूँ।।

"श्रधांजलि" पुलवामा अटैक

#PULWAMAATTACK_ CRPF {अर्धसैनिक बल के हक़ के लिए ,उन्हें शहीद का दर्जा मिलने हेतु, पेंशन मिलने हेतु, शाशन से गुजारिश}  आज कुछ,  गमगीन सा हो गया हूँ,,  मैं देश की रक्षा के खतिर,  शहीद होने वालों के लिए ,  अस्थिर सा हो गया हूं,  जो लगा देते हैं जान की बाजी,  घर परिवार भूलकर,  उनकी आहुति देख,  बिन जल का मीन हो गया हूँ,  क्यों नही मिल रहा,  उन्हें हक़ उनका,  ये सोच सोचकर मै,  खिन्न हो गया हूँ,  अब तू ही बता भारत माँ,  मैं तो तेरा बेटा हु ना ,  बराबर ही प्रेम किया,  देश के प्रति सदैव समान ही कर्तव्य निभाए,  फिर क्यों मैं भिन्न हो गया हूँ।।  भिन्न हो गया हूँ।। ( अखलेश काकोड़िया)