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जीवन संघर्ष ( गुलमोहर)

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है, परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं- 1. पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। 2. चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। 3. पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं। भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना.... तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं। उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे... या फिर स्वयं को पुनर्स्थापित करे, आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, वहीं तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा। बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है, और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान प

गुलमोहर(हमारी सोच)

देश : सर्बिया राजधानी : बेलग्राद सर्बिया का एक गांव डोकाट जिसकी आबादी लगभग 265 लोगों की है इस गांव में तकरीबन अधिकतर बड़ी उम्र के लोग हैं जो 50 साल या उससे ऊपर के डोकाट में बच्चों की पैदावार में कमी और जनरेशन गैप की वजह से उस गांव में मौजूद एक प्राइमरी स्कूल को इस वजह से बंद करना पड़ा कि वहां कोई भी बच्चा या बच्ची पढ़ने वाला नहीं था सर्बिया के इस गाँव में निकोलीना नामी एक बच्ची जब स्कूल जाने के काबिल हुई तो सर्बिया की गवर्नमेंट ने स्कूल दोबारा 7 साल बाद खोलने का एलान किया निकोलीना की टीचर मैलिका मैकेज है जो नीकोलीना के लिए हर रोज स्कूल आती है टीचर इस बच्ची को इस बात का एहसास नहीं होने देती कि वह क्लास में अकेली पढ़ने वाली है ! दूसरा मामला- देश -जापान! राजधानी-टोक्यो! जापान में चलने वाली एक ट्रेन ,सुदूर उत्तर के एक द्वीप कामी शिरातकी को मेनलैंड से जोड़ती है । तीन साल पहले पर्याप्त यात्री ना मिलने के कारण उस ट्रेन को बंद करने का फ़ैसला लिया गया था !लेकिन तभी ट्रेन कम्पनी को पता चला ,उस ट्रेन से रोज़ एक लड़की अपने स्कूल जाती है । रोज़ एक अकेली लड़की ही उस ट्रेन की यात्र

गुलमोहर( love series)

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे। साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे। दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर। सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी। नवीन घर मे अकेला ही रहता था। मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नवीन महीने

"एक पिता की अधूरी इच्छा"

#एक पिता का दर्द..... आज पूनम लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से कहने लगी पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली, उसके पापा बहुत गुस्सें में थे, पर वो बहुत सुलझें शख्स थे, उसने बस अपनी बेटी से इतना कहा, मेरे घर से निकल जाओं, बेटी ने कहा अभी इनके पास कोई काम नही हैं, हमें रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएगें, पर उसके पापा ने एक नही सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया......... कुछ साल बित गयें, अब पूनम के पापा नही रहें, और दुर्भाग्यवश जिस लड़के ने पूनम ने शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया, पूनम की एक लड़की एक लड़का था, पूनम खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन यापन हो रहा था......... पूनम को जब ये खबर हुई उसके पापा नही रहें, तो उसने मन में सोचा अच्छा हुआ, मुजे घर से निकाल दिया था, दर_दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया, मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुजे घर नही बुलाया, मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा पूनम हो आऊ, जाने वाला शख्श तो चला गया अब उनसे दुश्मनी कैसी, पूनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलों हो आती हूं, देखू तो जिन्होने मुजे ठुकर

मेरा अनुभव( My experience)

हेल्लो दोस्तों, आप पढ़ रहे है मेरे अनुभव मेरे ब्लॉग akleshkakodiya.blogspot.com पर। बहोत सारे अप्डेट्स के लिए मेरा ब्लॉग लाइक करे शेयर करे। बात है सन 2011 की जब में Bsc. 2nd year  का स्टूडेंट था। मेरे शहर नेपानगर में कोई अच्छा कॉलेज ना होने के कारण मेने नेपा से 50 km दूर खंडवा में एडमिशन लिया था। रोज ट्रैन से दोस्तों के साथ अप-डाउन करना और दिन भर कॉलेज के नाम परहुल्लड़बाजी और मौज-मस्ति करना, बस यही करते थे हम लोग। मै पढ़ाई में बहोत अच्छा था मुझे लगता था कि मै बहोत समझदार हूँ, और वैसे भी दोस्तों के मुँह से सुन रखा था कि कॉलेज लाइफ एन्जॉय के लिए होती हैं, मौज - मस्ती के लिए होती है। तो हम भी लाइफ को ऐसा ही समझ बैठे।    खैर छोड़ो आगे की बात बताता हूँ, जीवन में हम सभी के साथ ऐसा होता ही है कि जब हम अपने दोस्त के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हो जाते है यहाँ तक की दोस्ती निभाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था। मेरी एक बहोत अच्छी दोस्त थी जिसका नाम सुनैना( काल्पनिक नाम) था। वह MSc. Chemistry final ईयर की स्टूडेंट थी, मै उसे दीदी बोलता था। वो बहो

*FLY lIKE YOUR DREAMS*

Hello friends,                                      I am your friend ak{aklesh KAKODIYA} . Today we will about the success. So can you tell me that what is success? In that case I would say your hard work , passion about your work results are the success. Success is not only a positive things but it's a happiness for you and your others.         Always remind the words in life never though negetive. Because negetivity makes you failed. A person whom never tried anything doesn't understand it's meaning. So what you do , do with your heart and give your efforts 100℅ . Success is coming successfully  behind of you. Jai hind,                                                 AKLESH KAKODIYA

"खुदका व्यापार डालें"

     आज दिनांक 20/06/2018 को जिला बुरहानपुर मध्य प्रदेश में नवयुवको हेतु स्वरोजगार मेले का आयोजन बुरहानपुर प्रशाशन के द्वारा कराया गया हैं। जिसमे सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवा युवक व् युवतियां लाभुठाये एवं शाशन  के द्वारा लोन लेकर स्वयं का bussiness प्रारम्भ करे।।। जो आज रोजगार मेले का लाभ न ले पाये वे आगामी कार्यदिवसों में ,वरिष्ठ कार्यालय में भी आवेदन कर सकते है। या मुझसे संपर्क करे- 7089828015 अकलेश काकोड़िया

नन्ही परी(नव्या)

    pub    नन्ही परी नव्या, नव्या कौन है। नव्या है साड़े तीन साल की एक छोटी सी बच्ची। जिससे में हाल ही में मुम्बई में मिला।बहोत ही मासूम ,चंचल उसकी अदाओ को देखकर कोई भी उसे प्यार करे बगैर रह नही पाये, ऐसी है हमारी नव्या। पर ये क्या हुआ अचानक उसके बारे में जानते जानते अचानक मेरी आँखों मे से आंसू आना शुरू हो गए । जब मुझे पता चला कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में उसका पिछले 4 महीनों से इलाज चल रहा है, उसे कैंसर है।मेरे पैरों तले जमीन खिशक गई। दिमाग की नशे फटने को कर रही थी। मैं यही सोच रहा था आखिर ये बच्ची ही क्यों ,, क्या कसूर है उस नन्ही सी जान का। उसे ही क्यू, एक पल के लिए लगा काश उसकी तकलीफ मुझे मिल जाये।          आज ऐसा लगा इस्वर इतना निर्दयी कैसे हो सकता हैं।उसे समझ पाना असंभव हैं।। फिलहाल अगले दिन नव्या का बर्थडे हैं। आगे की जानकारी अगले लेख में दूंगा, जब नव्या के बारे में कोई भी जानकारी मिलेगी।                               ।।शुभरात्रि।।