सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नन्ही परी(नव्या)

   pub

   नन्ही परी नव्या, नव्या कौन है। नव्या है साड़े तीन साल की एक छोटी सी बच्ची। जिससे में हाल ही में मुम्बई में मिला।बहोत ही मासूम ,चंचल उसकी अदाओ को देखकर कोई भी उसे प्यार करे बगैर रह नही पाये, ऐसी है हमारी नव्या। पर ये क्या हुआ अचानक उसके बारे में जानते जानते अचानक मेरी आँखों मे से आंसू आना शुरू हो गए । जब मुझे पता चला कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में उसका पिछले 4 महीनों से इलाज चल रहा है, उसे कैंसर है।मेरे पैरों तले जमीन खिशक गई। दिमाग की नशे फटने को कर रही थी। मैं यही सोच रहा था आखिर ये बच्ची ही क्यों ,, क्या कसूर है उस नन्ही सी जान का। उसे ही क्यू, एक पल के लिए लगा काश उसकी तकलीफ मुझे मिल जाये।
         आज ऐसा लगा इस्वर इतना निर्दयी कैसे हो सकता हैं।उसे समझ पाना असंभव हैं।। फिलहाल अगले दिन नव्या का बर्थडे हैं। आगे की जानकारी अगले लेख में दूंगा, जब नव्या के बारे में कोई भी जानकारी मिलेगी।
                              ।।शुभरात्रि।।

                           
  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन संघर्ष ( गुलमोहर)

बाज लगभग 70 वर्ष जीता है, परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं- 1. पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। 2. चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। 3. पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर देते हैं। भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना और भोजन खाना.... तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं। उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे... या फिर स्वयं को पुनर्स्थापित करे, आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, वहीं तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा। बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है, और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान प

"एक पिता की अधूरी इच्छा"

#एक पिता का दर्द..... आज पूनम लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से कहने लगी पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली, उसके पापा बहुत गुस्सें में थे, पर वो बहुत सुलझें शख्स थे, उसने बस अपनी बेटी से इतना कहा, मेरे घर से निकल जाओं, बेटी ने कहा अभी इनके पास कोई काम नही हैं, हमें रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएगें, पर उसके पापा ने एक नही सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया......... कुछ साल बित गयें, अब पूनम के पापा नही रहें, और दुर्भाग्यवश जिस लड़के ने पूनम ने शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया, पूनम की एक लड़की एक लड़का था, पूनम खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन यापन हो रहा था......... पूनम को जब ये खबर हुई उसके पापा नही रहें, तो उसने मन में सोचा अच्छा हुआ, मुजे घर से निकाल दिया था, दर_दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया, मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुजे घर नही बुलाया, मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा पूनम हो आऊ, जाने वाला शख्श तो चला गया अब उनसे दुश्मनी कैसी, पूनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलों हो आती हूं, देखू तो जिन्होने मुजे ठुकर

*भारतीय संस्कृति में क्वारेटाइन या सूतक का महत्व*

#क्वारेंटाईन या #सूतक का महत्व।। *हम तो आदिकाल से क्वारेंटाईन करते हैं, तुम्हें अब समझ आया* -------------------- *त्वरित टिप्पणी* -------------------- *आज जब सिर पर घूमता एक वायरस हमारी मौत बनकर बैठ गया तब हम समझें कि हमें क्वारेंटाईन होना चाहिये, मतलब हमें ‘‘सूतक’’ से बचना चाहिये। यह वही ‘सूतक’ है जिसका भारतीय संस्कृति में आदिकाल से पालन किया जा रहा है। जबकि विदेशी संस्कृति के नादान लोग हमारे इसी ‘सूतक’ को समझ नहीं पा रहे थे। वो जानवरों की तरह आपस में चिपकने को उतावले थे ? वो समझ ही नहीं रहे थे कि मृतक के शव में भी दूषित जीवाणु होते हैं ? हाथ मिलाने से भी जीवाणुओं का आदान-प्रदान होता है ? और जब हम समझाते थे तो वो हमें जाहिल बताने पर उतारु हो जाते । हम शवों को जलाकर नहाते रहे और वो नहाने से बचते रहे और हमें कहते रहे कि हम गलत हैं और आज आपको कोरोना का भय यह सब समझा रहा है।* 👉 *हमारे यहॉ बच्चे का जन्म होता है तो जन्म ‘‘सूतक’’ लागू करके मॉ-बेटे को अलग कमरे में रखते हैं, महिने भर तक, मतलब क्वारेंटाईन करते हैं।* 👉 हमारे यहॉ कोई मृत्यु होने पर परिवार सूतक में रहता है लगभग 12 द