सुबह के पौने तीन (2:45) और एक माँ का संघर्ष।।
उक्त दृश्य आज सुबह का है। लोकेशन 11057-पठानकोट एक्सप्रेस, जनरल बोगी का है। गाड़ी नाशिक रेल्वे स्टेशन पर है। एक गरीब माँ जिसके तीन बच्चे है। एक बेटी ढाई साल की, एक बेटा एक साल 6 महीने का और गोद में एक दूध पीती मासूम सी बच्ची। वह महिला बाजु वाली बोगी से निकलकर मेरी वाली बोगी में आकर दरवाजे पर ही बैठ जाती हैं। पूछने पर उसने कहा की बच्चे भीड़ के वजह से रो रहे थे तो उधर से लोगो ने भाग दिया। मेने कहा भीड़ तो यहाँ भी बहोत है। उसने कहा देखते है साहब। कुछ देर बाद ट्रेन स्टेशन छोड़ रही है, ट्रैन में हवा काफी तेज लगने लगी है। बच्चे सोने के लिए रो रहे, बिलक रहे है या फिर शायद भूख से, कुछ समझ नही आ रहा। वो एक एक कर तीनो को सुलाने का प्रयास कर रही हैं, उस बिच जिद करते बच्चो को पिट भी रही है। कुछ देर बाद बच्चे सो जाते है, अब सुबह की ठण्ड लगने लगी है।बच्चो को उड़ाने ,ढकने का वह हर संभव प्रयास कर रही हैं उसके पास सिवाए अपने आँचल के बच्चो को उड़ने के लिए कुछ भी नही है। वो खूद भी नींद के झोंको से लड़ रही है। बार बार वह रट बिलखते बस्कचो को थपथपाती तो कभी अपने आँचल से ढकती। भीड़ भी उसे कोश रही है। तभी पास में खड़ी आंटी जी ने पूछा अकेले हो!
उसने कहा हाँ, पति छोड़कर चला गया।
आंटी- ऐसे कैसे अकेला छोड़ दिया तेको इतनी रात में, उसको शर्म नही आई।
महिला- उसने दूसरी औरत कर ली, और इन तीनो को मेरी छाती पर लाद गया, पर मै तो पालूंगी ना, मै तो आखिर माँ हु ना इनकी। मुझे तो पालना ही पड़ेगा।
इतना सुनते ही मेरे मन में अजब से विचार आने लगे, मै टकटकी लगाकर उस महीला को देख रहा था। उसकी मज़बूरी,बच्चो के प्रति जिम्मेदारी , आतुरता सब कुछ दिख रहा था।
कभी कभी लगता है कि हमारा देश गरीब नही हैं, पर इस तरह की परिस्थियां हम भारतीयों को गरीब बना देती हैं। क्या ये समाज की कुरीति नही हैं। कहा चला जाता है वह समाज जब किसी महिला पर इस तरह के अत्यचार होते है, तो क्यों उस समय लोग समाज की बकैती नही हाँकते। इसलिये महिलाओं का शिक्षित होना भी बहोत ज्यादा जरुर्री है ताकि वह अपने निर्णय स्वयं ले सके। ये किसी एक महिला की कहानी नही हैं, आम जीवन में ऐसे कई किस्से आम है। मै सिर्फ इतना कहूंगा कि जो बाप अपने बच्चो का पालन पोषण नही कर सकता , उसे बच्चे पैदा करने का भी कोई हक़ नही हैं। उसे कोई हक़ नही है कि वो किसी की जिंदगी से खेले और बर्बाद करे।


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